दातव्यमिति यद्दानं दीयतेऽनुपकारिणे | देशे काले च पात्रे च तद्दानं सात्त्विकं स्मृतम् || 20||

dātavyam iti yad dānaṁ dīyate ‘nupakāriṇe, deśhe kāle cha pātre cha tad dānaṁ sāttvikaṁ smṛitam

Translation

Charity given to a worthy person simply because it is right to give, without consideration of anything in return, at the proper time and in the proper place, is stated to be in the mode of goodness.

अनुवाद

दान देना ही कर्तव्य है —- ऐसे भाव से जो दान देश तथा काल और पात्र के प्राप्त होने पर उपकार न करने वाले के प्रति दिया जाता है, वह दान सात्विक कहा गया है |

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